Pages

Followers

Thursday, March 27, 2008

naari mukti

महिला दिवस पर एक कविता 

नारी की मुक्ति का मतलब ,क्या नग्नता कहलाता है
क्या आधुनिकता का मतलब,उन्मुक्त व्यभिचार बन जाता है?

नारी ही क्यों फैशन में,तन से कपडे कम करती है
नारी खुद गर्भपात कर,क्यों नारी का शोषण करती है?

नारी मुक्ति की पहचान हो कैसे,इसका अर्थ बता डालो
कौन पैमाना कौन तराजू,हमको भी समझा डालो?

माँ बहन बेटी कहलाना,क्या नारी की पहचान नहीं
क्या देवी सा मान मिले,इसमें नारी की शान नहीं?

हाथों में कृपाण थामना,क्या नारी की पहचान यही है
क्या नर मुंडो की माल पहनना,दुर्गा की बस शान यही है?

लक्ष्मी सरस्वती और पार्वती,जगत जननी माँ कहलाती हैं
विनम्रता सौम्यता और त्याग की,ये ही देवी कहलाती है।

जब कोई टकराता राक्षस,ये ही दुर्गा बन जाती है
पापियों का दामन करने को,चामुंडा भी बन जाती है।

आधुनिकता की दौड़ में आकर,मत नारी का अपमान करो
पच्छिमी सभ्यता के भंवर में,नग्नता का मत गुणगान करो।

शिक्षित हो भारत की नारी,ऐसा कुछ तुम काम करो
स्वाभिमान से चढ़े शिखर पर,मुक्ति का अभियान करो


डॉ अ कीर्तिवर्धन 

2 comments:

  1. ......भारतीय नारी-----( घुन लगी पीडा )

    मैं एक औरत हूँ
    व्यक्ती नहीं
    यहाँ मेरी कोई मर्जी नहीं
    जिससे चाहू मिलू
    ये हों नहीं सकता
    अपनी मर्जी से
    ना मैं माँ बन सकती हूँ
    ना ग्रभपात करा सकती हूँ
    बच्चो कों पिता का नाम दू
    या ना दू
    ऐसा हों ही नहीं सकता
    क्यों की मुझे अधिकार ही नहीं
    अपना जीवन जीने का
    मैं भारतीय नारी हूँ
    जहा
    पशु और औरत की कोई
    कोई मर्जी नहीं होती
    मेरी मर्जी पिता ,बच्चो और
    पती के हाथो में बंधी
    एक लगाम है
    मैं एक वय्की नहीं एक औरत हूँ
    पर मेरी चाह है
    अब मैं एक औरत की तरह नहीं
    एक व्यकी की तरह
    जीना चाहती हूँ... .................

    गुरु कवी हकीम हरीहरण हथौडा .....

    ReplyDelete