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Sunday, April 13, 2008

अनुत्तरित प्रशन

पति से अलगाव के बाद
जब भी
मेरा दो साल का बेटा
पिता को पूछता
मैं दिखा देती उसे
पानी में चाँद
और बताती उसे
पापा जल्द आयेंगे।


मैं नहीं जानती
कब तक
नन्हें मन पर
झूठ की कालिख लगाती रहूंगी?

अपने झूठे अंहकार की सज़ा
उस मासूम को क्यों?
यह प्रशन
आज भी
अनुत्तरित है.

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