एक काला कौवा
छीन कर ले गया निवाला
उस बच्चे के हाथ से
जो दो दिन से था भूखा।
जिस निवाले को पाने की खातिर
माँ से भी रूठा था
भाई से लड़ा था
भीख मांगी थी
सड़क पर भी पडा था।
कौवे के छीननेसे निवाला
बच्चे को जरा भी गुस्सा नहीं आया
वह अपनी भूख भी भूल गया
बस कौवे को देखने मैं मसगूल रहा।
उसे अच्छा लगा
कौवे का छीनना निवाला
फिर दीवार पर बैठ कर खाना
उसके लिए यह एक खेल था
शायद उसके सपनों का मेल था.
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