सत्य,अहिंसा ,पवित्रता ,दान व संयम
गुणों का नाम धर्म है।
सभ्यता का आंतरिक पक्ष है
सामाजिक संगठन की आत्मा धर्म है।
परमात्मा को खोजता जो
जीवन जिसको धारण करता ,धर्म है।
नियमो का पालन धर्म है
मानवता सव्मेव धर्म है।
धर्म की मेरी इसपरिभाषा पर आपके विचारों का स्वागत है। (किर्तिवर्धन)
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