Pages

Followers

Friday, March 29, 2013

jo likha gaya

जो लिखा गया वह तहरीर बन गया ,
मेरा लिखा पत्थर की लकीर बन गया ।
चाहोगे गर मिटाना ,मिट ना सकेगा ,
किताब में छप कर ,वो नजीर बन गया ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

No comments:

Post a Comment