Pages

Followers

Sunday, April 14, 2013

farz

फ़र्ज़

बहन , बेटी , पत्नि ,माँ ,बहु ,सास  बनती
संभालती रही उम्र भर वह रिश्तों को ।
भुलाकर अपना वजूद ,फ़र्ज़ की बेदी पर ,
चुकाती रही प्यार की सब किश्तों को ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

No comments:

Post a Comment