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Saturday, April 27, 2013

khawb likha tha

मैंने ख्वाबों में भी एक ख्वाब लिखा था ,
तेरे होठों को खिलता गुलाब लिखा था ।
तेरे नैनो की झील में उतर कर देखा था ,
छलकते दो  पैमाने को शराब लिखा था ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8 2 6 5 8 2 1 8 0 0

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