Pages

Followers

Thursday, April 25, 2013

maala me fir piro den

टूट कर चाहने से कुछ हासिल नहीं होता ,
मज़ा तो तब है जब टूटे को संभालें यारों ।
बिखरें हों मोती गर माला से निकलकर,
आओ माला में फिर से पिरो दें यारों ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800 

No comments:

Post a Comment