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Saturday, May 4, 2013

aastha ke fool

आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं ।

लोग अपनों से छले जाते हैं जहाँ में ,
छलने से फिर भी घबराते नहीं हैं ।
आस्था को आधार बना ,आगे बढ़ाते जाते हैं ,
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं ।

कुछ लोग बताते हैं खुदा ,खुद को मगर ,
खुदा की मौजूदगी को भी ठुकराते नहीं हैं ।
तन्हाई में करते हैं , वो बंदगी खुदा की ,
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं ।

साथ चलने की खाकर कसम,जिंदगी में ,
रहबर छोड़ जाते हैं अक्सर मझधार में ।
इंतज़ार में रहती  आँखे खुली,मरते वक़्त ,
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं ।

नए दोस्तों से बढ़ाकर नजदीकियां ,
फिर नए रिश्ते हर पल बनाते हैं  ।
छलने वाले की बताते हैं मजबूरियाँ ,
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8 2 6 5 8 2 1 8 0 0

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