जिन्दगी
कभी जोड़-तोड़ नहीं होती जिंदगी ,
सरल-सपाट सी होती है जिंदगी ।
सिमटती ,सिकुड़ती ,ठहरती नहीं ,
हिरणी से चाल होती है जिंदगी ।
चाहा जब पकड़ना मैंने जिंदगी को ,
दरिया की धार सी होती है जिंदगी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
कभी जोड़-तोड़ नहीं होती जिंदगी ,
सरल-सपाट सी होती है जिंदगी ।
सिमटती ,सिकुड़ती ,ठहरती नहीं ,
हिरणी से चाल होती है जिंदगी ।
चाहा जब पकड़ना मैंने जिंदगी को ,
दरिया की धार सी होती है जिंदगी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
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