कुछ लोग जहाँ में यूँ भी जिया करते हैं ,
अपने ही जख्मों में खुद नश्तर लगाया करते हैं ।
लेते हैं इम्तिहां वो अपने दर्द का ,
आँखों में आँसू ,पर मुस्कराया करते हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
अपने ही जख्मों में खुद नश्तर लगाया करते हैं ।
लेते हैं इम्तिहां वो अपने दर्द का ,
आँखों में आँसू ,पर मुस्कराया करते हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
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