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Saturday, May 11, 2013

saare jahan ki nadiyaan

सारे जहाँ की नदियाँ ,खुद में समाता है ,
प्यासा रहता है मगर ,सागर कहाता है ।
बना के बादल जल से ,वर्षा कराता है,
जग की खातिर जीता ,प्यासा रह जाता है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०

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