Pages

Followers

Saturday, May 16, 2015

naari aur neer ki gati eksaari hai

नारी और नीर --

नारी और नीर की, गति एकसारी है,
चीर के बंधन हटे, नियंत्रण भारी है।

"नीर" जब चीर का साथ छोड़ देता है,
बाढ़ और प्रलय का वह रूप अनोखा है।

नर-नारी,पशु -पक्षी सब बेहाल हैं,
चीर की डोर बंधी सब खुशहाल हैं।

"नारी" जब चीर का साथ छोड़ देती है,
मर्यादा को अपनी तार तार करती है।

कोई उसके सम्मुख टिक नहीं पाता है,
ऋषि, देव, दानव, सब पर वह भारी है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ३० मई, २०१५ की बुलेटिन - "सोशल मीडिया आशिक़" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद।

    ReplyDelete