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Tuesday, March 19, 2013

budhaapaa

कब तलक यूँ ही खुद को धोखा देते रहेंगे ,
बुढापे में खुद को जवां , हम कहते रहेंगे ,
लगा कर खिजाब कर लिए बाल काले ,
बच्चों के सामने हम बच्चे तो ना रहेंगे ।

फख्र है मुझे  मैं आज वृद्ध हो रहा हूँ 
तजुर्बों का  विशाल दरख़्त हो रहा हूँ
जिंदगी भर संवारी संस्कारों की बगिया ,
आज फूलों और खुशबु का मज़ा ले रहा हूँ ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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