मान और अपमान का होता जिसको भान नहीं .
वह नर नहीं बस पत्थर है , जिसे देश का मान नहीं ।
नामी और अनामी माना , सब के सब खो जाते हैं ,
कुछ जिन्दा ही मर जाते हैं,कुछ मरकर भी जी जाते हैं ।
कुछ काम नेक कर जाते हैं ,और काम किसी के आते हैं,
राम-कृष्ण से बन जाते हैं , जीवन सफल बना जाते हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
वह नर नहीं बस पत्थर है , जिसे देश का मान नहीं ।
नामी और अनामी माना , सब के सब खो जाते हैं ,
कुछ जिन्दा ही मर जाते हैं,कुछ मरकर भी जी जाते हैं ।
कुछ काम नेक कर जाते हैं ,और काम किसी के आते हैं,
राम-कृष्ण से बन जाते हैं , जीवन सफल बना जाते हैं ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८ २ ६ ५ ८ २ १ ८ ० ०
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