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Thursday, July 9, 2015

jindagi ho chaar din ki ---tanhaai

जिंदगी हो चार दिन की या बरस चालीस रहे,
खुशियों के दरम्यान भी तन्हाई का अनुभव रहे ।
कभी कसैला, खारा- मीठा, स्वाद का चलता पता,
गर्दिशें जब बीत जाएँ, सुख महिमा मंडित रहे ।  

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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