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Sunday, August 10, 2008

बालश्रम

मैं ख़ुद प्यासा रहता हूँ पर
जन -जन की प्यास बुझाता हूँ
बालश्रम का मतलब क्या है
समझ नही मैं पाता हूँ ।
भूखी अम्मा ,भूखी दादी
भूखा मैं भी रहता हूँ
पानी बेचूं प्यास बुझाऊं
शाम को रोटी खाता हूँ ।
उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ
जो भिक्षा माँगा करते हैं
नहीं गया विद्यालय तो क्या
मेहनत की रोटी खाता हूँ ।
पढ़ लिख कर बन जाऊं नेता
झूठे वादे दे लूँ धोखा
अच्छा इससे अनपढ़ रहना
मानव बनना होगा चोखा ।
मानवता की राह चलूँगा
खुशियों के दीप जलाऊंगा
प्यासा ख़ुद रह जाऊँगा पर
जन-जन की प्यास बुझाऊंगा ।

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