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Sunday, August 10, 2008

मील का पत्थर


धूप से भरी ,
पथरीली -कटीली राहों मे
कठिन संघर्षों के बीच
एक छोटा सा हवा का झोंका
जब सोख लेता है पसीना
लगता है ऐसा
शायद यही है जीवन
इसे ही कहते हैं जीना।

जीवन की लम्बी राहों मे
मील का पत्थर बन जाना
इंगित करता है
राह मे एक मुकाम पाना।

क्या आपके लिए काफी है
केवल एक मुकाम पाना
और मील का पत्थर बनकर
राह मे सिमट जाना?

नहीं दोस्त -
तुम्हे अभी आगे बढ़ना है
और बहुत दूर तक है जाना।

जब लक्ष्य सामने है
मित्रों का साथ है,
फिर क्या डरना।
बस , तुम्हे इतना है करना
कर्तव्य पथ पर बढ़ते समय
मुश्किलों से नहीं डरना।

कठिन राहों के मुसाफिरों को
सदैव संग ले चलना ।
मंजिलें ख़ुद आसान हो जायेंगी
एक दो नहीं
अनेकों मुकाम पर पहुचायेंगी ।

जीवन की पथरीली राहें भी
फूलों सी खिल जायेंगी ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन

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