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Saturday, September 6, 2008

चिट्ठियाँ

चिट्ठियां
जोड़ती हैं परिवारों को
गाँव और शहरों को
राष्ट्रों को.
चिट्ठियां
जीवित रखती हैं
सभ्यता व्
संस्कृति को.
बनती हैं इतिहास
एक काल से
दुसरे काल तक.
चिट्ठियाँ
बहुत तेज दौड़ती है
लाती है
सुख ,दुःख
ख़ुशी और अवसाद .
चिट्ठियाँ
कभी कभी खो जाती है
किसी दुष्ट डाकिये के
हाथों में पड़कर
और तब
मात्र चिट्ठियाँ ही नहीं खोती
बल्कि खो जाता है
एक संसार
किसी का ,किसी के लिए
जब नहीं मिलता समाचार
किसी की म्रत्यु का
जन्म का ,
खोने या पाने का
अथवा
छूट जाता है अवसर
नौकरी पाने का
चिट्ठी न मिळ पाने के कारण.
कभी कभी
वर्षों के बाद
मिळ जाती है कोई चिट्ठी
इतिहास बनकर
और जीवंत कर देती हैं
बीता हुआ कल
आज हाथों में पड़कर .
चिट्ठियाँ
बहुत लाजवाब होती हैं.
कीर्ति

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