Pages

Followers

Tuesday, June 23, 2009

मेरे गीत मुझे लौटा दो

तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
गाया था जो संग तुम्हारे
मधुर क्षणों मे,भंवरों के संग
गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
चंदा की वह मधुर चाँदनी
छत पर जा जब बातें की थी
चाँदनी मुझको लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
अमुवा की वह छावं घनी
पवन संग झुला झूले थे
मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
तन्हाई मे तिल-तिल जीना
और मिलन की इच्छा करना
पल मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।


जारी है.
प्रस्तुतकर्ता a.kirtivardhan पर 9:37 AM 0 टिप्पणियाँ

No comments:

Post a Comment