Pages

Followers

Sunday, May 23, 2010

मेरा दर्द

मेरा दर्द

कुछ लोग जहाँ मे यूँ भी मुस्कराते हैं
अपने ही जख्मों मे खुद नश्तर लगते हैं
लेते हैं इम्तिहान वो अपने दर्द का
आँखों मे अंशु पर मुस्कराते हैं.
मैंने भी अपने दिल मे कुछ जख्मों को पाला है
हवा दी तन्हाइयों को,सिद्दत से दर्द संभाला है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

3 comments:

  1. आपसे बात करके अच्छा लगा. अपनी मिटटी की सुगंध महसूस कर रहा हूँ. अपने ब्लॉग से वर्ड verification हटायें तो कमेन्ट करने में पाठको को सुविधा होगी. pawandevdhiman.blogspot.com

    ReplyDelete