मेरा मन
मैंने सुना
वृक्षों के नवांकुरित पत्तों का कलरव
वृद्ध पत्तों का सिंहनाद
पीत पत्तों का रुदन.
जिसने पुलकित कर डाला
मेरा मन.
विचारों कि उठती तरंग
जीवन का निष्ठुर अंत
हवा का झोंका
पानी मे तरंग
पानी मे झिलमिल
सूरज कि किरण
जीवंत हो उठा
मेरा मन.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२
bahut sundar bhav abhivyakti.
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