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Sunday, June 13, 2010

shabdon me

शब्दों मे
मैंने शब्दों मे
भगवान को देखा
शैतान को देखा
आदमी तो बहुत देखे
पर
इंसान कोई कोई देखा.
इन्ही शब्दों मे
मैंने प्यार को देखा
कदम दर कदम
अहंकार भी देखा
धर्मात्मा भी बहुत देखे
पर
मानवता कि खातिर
मददगार कोई कोई देखा.
शब्दों मे ही
मैंने चाह देखी
भगवान् पाने कि
बुलिंदियों पर छाने कि
गिरते हुए भी बहुत देखे
पर
गिरते को संभालने वाला
कोई कोई देखा.
इन्ही शब्दों मे
भ्रष्टाचार को महिमा मंडित करते देखा
नारी कि नग्नता को प्रदर्शित करते देखा
पर
निर्लजता पर चोट करता
कोई कोई ही देखा.
इन्ही शब्दों मे
मैं का गुंजन देखा
सत्ता का नशा देखा
निर्दोष का मरना देखा
पर
भगवान के सम्मुख समर्पण करता
कोई कोई ही देखा.
इन्ही शब्दों मे
कमाना करता हूँ
ईश्वर से
वह मुझे शक्ति दे
लेखनी मेरी चलती रहे
पर पीड़ा मे लिखती रहे
पाप का भागी मैं बनूँ
यश का भागी ईश्वर बने.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

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