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Thursday, July 22, 2010

aadhunik beti

आधुनिक बेटियां
आज बेटी हुनर बंद हो गयी है
पढ़ लिख कर पैरों पर खड़ी हो गयी है
जो होती थी निर्भर सदा दूसरों पर
आज माँ बाप का सहारा हो गयी है.
साहस से अपने दुनिया बदलकर
हर कदम पर बेटी विजयी हो गयी है.
क्या खोया क्या पाया,जरा यह विचारें
आज बेटी जहाँ मे बेटा हो गयी है.
वात्सल्य और मातृत्व सुख को भुलाकर
पैसों की दौड़ मे बेटी खो गयी है.
चाहती नहीं वह माँ बनना देखो
आज बेटी बंज़र धरती हो गयी है.
बनाये रखने को अपना शारीरिक सौंदर्य
बेटी ही भ्रूण की हत्यारिन हो गयी है.
चाहती आज़ादी सामाजिक मूल्यों से
आज बेटी खुला बाज़ार हो गयी है.
बिन ब्याह संग रहना और नशा करना
आधुनिक बेटी की शान हो गयी है.
जिस घर मे बेटी ब्याह कर गयी है
उस घर मे खड़ी दीवार हो गयी है.
थे प्यारे जो माँ बाप भाई बहन अब तक
आज निगाहें मिलाना दुशवार हो गयी है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

4 comments:

  1. कुछ बेटियां भ्रमित हो रही है। लेकिन इनकी संख्या अब भी नग्णय है। समय के साथ आये बदलाव ने सोच में जैसा बदलाव किया है, यह उसी का परिणाम है। हर व्यक्ति की अपनी सोच होती है, अपने जीने का ढंग होता है। जो बात कल तक केवल पुरुषों पर लागू था, आज स्त्रियों पर भी लागू हो रहा है। वे भी अपने लिये खुला आसमान चाहती है, जिसमें उनकी मर्जी चलें। स्वतंत्रता अच्छी है लेकिन स्वच्छंता व्यक्ति के लिए सही नहीं है। जिस तरह अपनी स्वच्छंता के लिए पुरुष इतने समय से बदनाम हुए है, वहीं काम अब स्त्रियां कर रही है। यह अच्छा संकेत नहीं है।

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  2. वाह जी बहुत सुंदर... आप की एक एक लाईन से सहमत है.
    धन्यवाद इस सत्य के लिये

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  3. aapke vicharon se urja mili,aabhari hun

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  4. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .

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