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Saturday, May 7, 2011

aankh ka paani

आँख का पानी
होने लगा है कम अब आँख का पानी,
छलकता नहीं है अब आँख का पानी|
कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,
मरने लगा है अब आँख का पानी|
सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर
सूख गया है तब से आँख का पानी|
पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी
आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|
स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई
भूल गया बहना,आँख का पानी|
उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल
उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी|
फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|
देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|
लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन
उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी|
नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं
बनने से पहले उतारते आँख का पानी|
8265821800

5 comments:

  1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!!

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  2. आज के दौर में बच्चों को समझाइश देना थोडा कठिन हो चला है...... प्रासंगिक भाव लिए सार्थक रचना

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  3. आंख का पानी ही तो सुख गया हे भारत मे, बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद

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  4. बहुत सुन्दर कविता,

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  5. मातृदिवस की शुभकामनाएँ!

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