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Sunday, July 31, 2011

lokarpan jatan se odhi chadaria

"जतन से ओढ़ी चदरिया "  तथा कल्पान्त पत्रिका के विशेषांक "साहित्य का कीर्तिवर्धन" का लोकार्पण
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दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा डॉ ए. कीर्तिवर्धन की बुजुर्गों की दशा एवं दिशा पर केन्द्रित ग्रन्थ "जतन से ओढ़ी चदरिया" तथा साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका 'कल्पान्त' के विशेषांक "साहित्य का कीर्ति वर्धन "का लोकार्पण हिंदी भवन मे सुप्रसिद्ध  समाज सेविका ,वरिष्ठ नागरिक केसरी कल्ब की संस्थापिका श्रीमती किरण चोपड़ा द्वारा किया गया| कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ महेश शर्मा,पूर्व महापौर एवं अध्यक्ष दिल्ली हिंदी साहित्या सम्मलेन ऩे की|मुख्य वक्ता के रूप मे आकाशवाणी से कार्यक्रम अधिकारी डॉ हरी सिंह पाल,श्रीमती इंदिरा  मोहन ,महामंत्री  दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन तथा डॉ रामगोपाल  वर्मा ,दिल्ली पब्लिक स्कूल  उपस्थित थे|कार्यक्रम  का सञ्चालन डॉ रवि शर्मा ऩे किया|
   कार्य क्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया| सभी अथितियों को पुष्प गुच्छ से श्रीमती रजनी अग्रवाल,डॉ सुधा शर्मा,सुरम्या,वैभव वर्धन आदि ऩे सम्मानित किया|तत्पश्चात श्री महेश शर्मा ऩे डॉ अ कीर्तिवर्धन के व्यक्तित्व ,तथा साहित्यक योगदान पर प्रकाश  डाला| श्री शर्मा जी ऩे कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव और एकल परिवार के कारण समाज मे वरिष्ठ नागरिकों कि समस्याएँ दिन प्रतिदिन बढाती जा रही हैं|इस पुस्तक में डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे इस समस्या को बखूबी उजागर किया है|उन्होंने कहा कि माता पिता संतान के लिए सदैव पूज्यनीय हैं|यही हमारी संस्कृति एवं परंपरा कि देन है|
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्रीमती किरण चोपड़ा ऩे कहा कि बुजुर्ग होना सौभाग्य कि बात है|डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे बुजुर्गों कि चिंताओं को समाज के सम्मुख लेन का स्तुत्य प्रयास किया है| यह ऐसा ग्रन्थ है जो समस्याओं का निदान भी बताता है| प्रत्येक आयु वर्ग के लिए मार्ग दर्शक के रूप में इसका अति महत्व है|इस ग्रन्थ कि प्रतियाँ प्रत्येक पुस्तकालय,तथा प्रत्येक घर में होनी चाहियें|उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि डॉ ए कीर्तिवर्धन  से इसे खरीद कर बुजुर्गों तक अवस्य पहुंचाएं|श्रीमती किरण चोपड़ा ऩे वरिष्ठ नागरिक क्लब से भी डॉ ए कीर्तिवर्धन को जुड़ने का आह्वान किया तथा कहा कि कि ग्रन्थ 'जतन से ओढ़ी चदरिया' कि सामग्री को विभिन्न प्रकाशनों के द्वारा भी समाज तक पहुँचाने का प्रयास करेंगी|
वक्ता के रूप में डॉ हरी सिंह  पाल ऩे डॉ कीर्तिवर्धन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण बताया और कहा कि इन्ही संवेदनाओं के कारण यह ग्रन्थ आ पाया जिसके प्रकाशन में सम्पूर्ण व्यय स्वयम डॉ ए कीर्तिवर्धन द्वारा किया गया|उन्होंने जतन से ओढ़ी चदरिया के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला|ग्रन्थ में मौजूद सूक्तियों तथा लघु प्रसंगों को भी उन्होंने महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह ग्रन्थ रामायण कि तरह घर में रखने तथा पढ़ने के लिए उत्तम है| इससे आज के भटकते समाज को दिशा मिलेगी|  
इस बीच शिकागो से कीर्तिवर्धन जी की प्रशंशिका गुड्डों दादी के मोबाइल सन्देश से पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से भर गया|
    श्रीमती इंदिरा मोहन  ऩे पुस्तक  में समाहित लेखों,सम्पादकीय तथा काव्य खंड के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कि विद्वानों ऩे सच्चे अर्थों में कर्त्तव्य बोध कराया है|श्रीमती मोहन  ऩे कहा कि डॉ ए कीर्तिवर्धन मानवीय मूल्य एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं| दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन उनकी  सराहना करता है|जतन से ओढ़ी चदरिया तथा कल्पान्त के विशेषांक का लोकार्पण संस्था के बैनर टले कर हम गौरवान्वित हुए हैं| उन्होंने कहा कि इस ग्रन्थ का एक -एक शब्द प्रत्येक पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शक कि तरह है| इसके पढ़ने तथा इस पर अमल कराने से एकल परिवारों  कि स्थापना होगी|
 चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डॉ रामगोपाल वर्मा ऩे कहा कि डॉ रवि शर्मा तथा कल्पान्त के संस्थापक संपादक डॉ मुरारी लाल त्यागी ऩे डॉ ए कीर्तिवर्धन पर 'साहित्य का कीर्तिवर्धन 'निकाल कर सही व्यक्ति का चयन किया है|वास्तव में डॉ कीर्तिवर्धन इसके लिए सर्वथा उपयुक्त व्यक्ति हैं|कल्पान्त में देश के कोने कोने से आये उनके मित्रों,साहित्यकारों तथा पाठकों के विचार उनकी लोकप्रियता का प्रतीक हैं|कीर्तिवर्धन  जी लगभग १७ राज्यों से प्रकाशित होने वाले ३५० से अधिक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं|वह बहुत मिलनसार,मानवीय तथा चिन्तक हैं|
डॉ रवि शर्मा ऩे बताया कि डॉ कीर्तिवर्धन की अब तक ७ पुस्तकें आ चुकी हैं|उनकी रचनाएँ सभी वर्ग के पाठकों के द्वारा सराही जाती हैं| उनकी लेखनी विभिन्न विषयों पर चलती है जिसमे दलित चेतना,नारी मुक्ति,आतंकवाद जैसे विषय  हैं तो बालमन का ससक्त चित्रण भी दिखाई देता है| आपकी कुछ कविताओं का चयन महाराष्ट्र में नए पाठ्यक्रम में चयन के लिए किया गया है तथा 'सुबह सवेरे' बिहार, उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड के अनेक विद्यालयों में पढाई जाती है|
श्रीमती सुधा  शर्मा     तथा सुरम्या शर्मा द्वारा डॉ ए कीर्तिवर्धन की कविताओं का पाठ किया गया|
डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे अपने वक्तव्य में अपने लेखन का श्रेय अपने पाठकों ,विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के संपादकों ,अपनी पत्नी तथा पुत्र को दिया|उन्होंने अपने बैंक के साथियों का भी धन्यवाद् किया जिनका सहयोग उन्हें प्रतिदिन मिलता है|दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन ,श्री महेश चंद शर्मा, श्रीमती इंदिरा मोहन का आभार व्यक्त करते हुए कहा की सम्मलेन के इस प्रकार लेखकों को प्रोत्साहित कराने के प्रयास अनुकरणीय  हैं| श्रीमती किरण चोपड़ा जी  का भी आभार करते हुए कहा की मुझसे जो भी कार्य बुजुर्गों के हित में हो सकेगा ,कराने का प्रयास करूँगा| सभी वक्ताओं ,डॉ रवि शर्मा,डॉ सुधा शर्मा,सुरम्या तथा सम्मलेन में आये सभी अतिथियों के पार्टी भी कृतज्ञता ज्ञापित की|
  सम्मलेन के उपाध्यक्ष श्री गौरी शंकर भारद्वाज ऩे सभी का आभार प्रकट किया|इस अवसर पर लाला जय नारायण  खंडेलवाल,श्री अरुण बर्मन,श्यामसुंदर गुप्ता,श्री सुरेश खंडेलवाल ,श्री स प सिंह, श्री ॐ प्रकाश,श्री अनमोल,श्री लक्ष्मी नारायण  भाटिया ,संपादक जनसंघ वाणी,श्री प्रदीप सलीम संपादक युद्ध भूमि,श्री गोपल क्रिशन मिश्र संपादक संवाद दर्पण,संपादक बिहारी खबर,आकाशवाणी से संवाददाता ,नैनीताल बैंक के सहायक महाप्रबंधक श्री के एस मेहरा,चीफ मेनेजर श्री रमण गुप्ता,वी के महरोत्रा,श्री देश दीपक ,श्री राकेश गुप्ता ,श्री मनोज शर्मा सहित अनेकों बैंक कर्मचारियों ,श्री लालबिहारी लाल,श्री यु एस मिश्र,अनिल चौधरी,भल्ला जी ,मोहन पाण्डेय जैसे अनेकों साहित्य प्रेमियों,डॉ ए कीर्तिवर्धन के परिवार जनों सहित बड़ी संख्या में लोगों ऩे भाग लिया | 
 लाल बिहारी लाल तथा डॉ रवि शर्मा द्वारा जारी

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