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Saturday, October 29, 2011

dard ka katara

मैं जिया जब तक जिया
दर्द का कतरा बनकर,
मैं मरा तो चल दिया
दर्द का सैलाब बनकर|
मैं कब कतरा बना
कब सैलाब बना,
समझ ना पाया
दर्द था दूर
मुझसे कोसों मगर
गैरों के गम को
सदा अपने करीब पाया|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732

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