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Sunday, December 4, 2011

pachpan me bachpan

पचपन मे बचपन-----
पचपन मे बचपन का ख्याल आता है,
मेरा दिल मचल मचल जाता है|
चाहता है खेलना,आँख मिचोली,
दौड़ने भागने को मन ललचाता है|
खाते थे खाना माँ के हाथ से,
चूल्हे की रोटी को मन तरसाता है|
जब चाहा सो गए ममता की छांव मे,
माँ का आँचल बहुत याद आता है|
देर रात बैठे रहते थे दादी की गोद मे,
कहानी सुनाने वाला नज़र नहीं आता है|
सारी ही बस्ती कभी अपनी हवेली थी,
बात कराने वाला आज कोई नहीं पाता है|
रिश्ते थे सबसे ताऊ,चाचा,बुआ के,
अंकल आंटी मे प्यार नहीं आता है|
लगी चोट पाँव मे खून जब बहने लगा,
दुपट्टे का फाड़ना बहन,अब मुझे भाता है|
पचपन मे बचपन का जब ख्याल आता है,
बचपन मे लौटने को दिल भरमाता है|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732

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