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Thursday, December 29, 2011

kabhi nahi malal rahe

कभी नहीं मलाल रहे -------
जाति धर्म के नारों से,जो लोग हैं खेल रहे,
विषधर काले जहरीले,अपने घर मे पाल रहे|
बोओगे पेड़ बाबुल का,आम नहीं पैदा होगा,
कांटे ही कांटे होंगे,इतना तुमको ख्याल रहे|
आरक्षण का रक्त बीज,बोया सत्ता की खातिर,
वही बीज अब वृक्ष बने,धारण रूप विकराल रहे|
बढ़ता जाता विष वृक्ष,अमर बेल की भांति है,
कब काटोगे जड़ से इसको,पूछ यही सवाल रहे?
मानवता को धर्म बनालो,कुर्सी को सेवा आधार,
राष्ट्र धर्म बने जब पर्मुख,नहीं कभी मलाल रहे|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

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