इंसानियत..
चिराग जलते हैं मय्यतों पे उनकी,
गैरों कि जिंदगी को जिसने रोशन किया है|
खुद कि खातिर जो जिया इस जहाँ में,
अंधेरों ऩे फकत घोंसला वहाँ किया है|
खुदा के बन्दों कुछ ऐसा कर दिखाओ ,
इन्सां मे इंसानियत के कुछ रंग मिलाओ|
जुदा कर न पाए कोई लहू को लहू से,
इंसानियत कि ऐसी महफ़िल सजाओ|
जिओ इस जहाँ मे,जीने दो गैरों को,
बुद्ध के पैगाम को दुनिया मे फैलाओ |
अमन और मोहब्बत के दीपक जलाकर,
नफरत के अंधेरों को जड़ से मिटाओ|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२
चिराग जलते हैं मय्यतों पे उनकी,
गैरों कि जिंदगी को जिसने रोशन किया है|
खुद कि खातिर जो जिया इस जहाँ में,
अंधेरों ऩे फकत घोंसला वहाँ किया है|
खुदा के बन्दों कुछ ऐसा कर दिखाओ ,
इन्सां मे इंसानियत के कुछ रंग मिलाओ|
जुदा कर न पाए कोई लहू को लहू से,
इंसानियत कि ऐसी महफ़िल सजाओ|
जिओ इस जहाँ मे,जीने दो गैरों को,
बुद्ध के पैगाम को दुनिया मे फैलाओ |
अमन और मोहब्बत के दीपक जलाकर,
नफरत के अंधेरों को जड़ से मिटाओ|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२
No comments:
Post a Comment