नव वर्ष की बात.....
दीप जलें,तमस टले,प्रकाश का आगमन हो,
खुशियाँ हों, शुभ सन्देश मिलें,नूतन वर्ष सनातन हो|
जी हाँ यही अवधारणा है भारतीय नववर्ष की| लेकिन जिस अंग्रेजी नव वर्ष को समपर्ण विश्व धूम धाम से मना रहा है और भारतीय भी अंधे होकर उसकी जय कर कर रहे हैं क्या आप उसका इतिहास जानते हैं?
क्या है ग्रेगरियन कलेंडर आओ जाने......
सबसे पहले रोमन सम्राट रोमुलस ऩे अपने राज्य की काल गणना के लिए कलेंडर बनाया जिसमे सिर्फ १० महीने थे| जनवरी व फरवरी उसमे नहीं थे| यानी पहला महीना मार्च था जो भारतीय काल गणना के मुताबिक ही था|बाद मे सम्राट पोम्पिलस ऩे जनवरी और फरवरी को उसमे जोड़ा और यह दोनों दिसंबर के बाद यानि ११ व १२ महीना बने|
बाद मे जुलियस सीज़र जब जनवरी महीने मे सम्राट बना तो उसने जनवरी को ही पहला महीना घोषित कर दिया और दिसंबर को १२वा | प्रारंभ मे कलेंडर का ५वा महीना क्वितिलस था फिर यह ७ वा महीना बन गया|इसी महीने मे जुलिअस सीज़र का जन्म दिन था तो क्वितिलस का नाम बदल कर जुलाई कर दिया गया|
जुलिअस सीज़र के बाद ईसा से ३७ वर्ष पूर्व ओक्टेबियन रोम का सम्राट बना| उसके अच्छे कार्यों के लिए उसे इपेरेटर तथा आगस्टस की उपाधि प्रदान की गयी ,जिसका अर्थ मुखिया तथा पवित्र होता है| अब तक वर्ष के ८वे महीने का नाम सैविस्तालिस था ,अब इसे बदल कर आगस्टस ओक्तेवियाँ के नाम पर अगस्त कर दिया गया|
एक और मजेदार बात अब तक ८वे महीने मे ३० दिन होते थे और ७वे महीने मे ३१ दिन| क्योंकि ७ वा महीना जुलिअस सीज़र के नाम था और उसमे ३१ दिन और वर्तमान राजा के नाम पर ३० दिन,इसलिए फरवरी के २९ दिन मे से १ दिन काट कर अगस्त मे जोड़ दिया गया| अब आप बताएं क्या आधार है इस अंग्रेजी कलेंडर का?
कुछ और भी मजेदार बातें जान ले.....
.मार्च ...युद्ध और शान्ति के रोमन देवता मार्तियुस से बना ,इसीलिए इसे पहला महीना माना गया था|
अप्रैल ...रोमन शब्द अप्रिलिस से बना ,यह रोमन देवी अक्रिरिते के नाम पर है|
मई.....बसंत की देवी मेईया के नाम पर है|
जून ..रोमन स्वर्ग की देवी व देवराज जीयस के पत्नी जूनो के नाम पर|
जुलाई....हमने पहले ही बताया जुलिअस सम्राट के नाम पर |
अगस्त...यह भी ऊपर लिख चुके हैं सम्राट के नाम पर|
एक मजेदार बात और भी देखें....
सितम्बर..यह सेप्टेम शब्द से बना जिसका अर्थ होता है सातवाँ ,और यह पहले ७वा महीना ही था जिसे बाद मे ९वा बना दिया गया|
अक्टूबर ..यह ओक्टोवर शब्द से बना जिसका अर्थ आठ होता है,यह भी पहले ८व महिना ही था|
नवम्बर... यह नोवज़ शब्द से बना और इसका अर्थ भी नौ ही है,बाद मे इसे ११वा महीना बना दिया गया|
दिसंबर ..यह लातिन शब्द दसम अर्थात दसवां से बना है और पहले १०वा ही था|
जनवरी..जो पहले ११वा महीना था ,रोमन देवता जानुस के नाम पर जैनरियुस शब्द से बना |
फरवरी...लेटिन के फैबु और एरियास का रूप है,जिसका अर्थ शुद्ध करना है|रोमन सभ्यता मे इस महीने को आत्म शुद्धी तथा प्रायश्चित का महीना मानते थे|
इतना ही नहीं सन १७५२ मे २ तारीख के बाद सीधे १४ तारीख का प्रावधान कर इस कलेंडर को संसोधित किया गया|सितम्बर १७५२ मे इस कलेंडर मे मात्र १९ दिन ही थे|
भारत मे इस कलेंडर की शुरुआत अंग्रेजों के कार्यकाल मे हुई|
(इस जानकारी के लिए अनेकों पुस्तकों अभिलेखों तथा श्री नरेंदर संगल,ओरिएंटल बैंक से प्राप्त जानकारी का उपयोग किया गया है|)
डॉ अ कीर्ति वर्धन
९९११३२३७३२
दीप जलें,तमस टले,प्रकाश का आगमन हो,
खुशियाँ हों, शुभ सन्देश मिलें,नूतन वर्ष सनातन हो|
जी हाँ यही अवधारणा है भारतीय नववर्ष की| लेकिन जिस अंग्रेजी नव वर्ष को समपर्ण विश्व धूम धाम से मना रहा है और भारतीय भी अंधे होकर उसकी जय कर कर रहे हैं क्या आप उसका इतिहास जानते हैं?
क्या है ग्रेगरियन कलेंडर आओ जाने......
सबसे पहले रोमन सम्राट रोमुलस ऩे अपने राज्य की काल गणना के लिए कलेंडर बनाया जिसमे सिर्फ १० महीने थे| जनवरी व फरवरी उसमे नहीं थे| यानी पहला महीना मार्च था जो भारतीय काल गणना के मुताबिक ही था|बाद मे सम्राट पोम्पिलस ऩे जनवरी और फरवरी को उसमे जोड़ा और यह दोनों दिसंबर के बाद यानि ११ व १२ महीना बने|
बाद मे जुलियस सीज़र जब जनवरी महीने मे सम्राट बना तो उसने जनवरी को ही पहला महीना घोषित कर दिया और दिसंबर को १२वा | प्रारंभ मे कलेंडर का ५वा महीना क्वितिलस था फिर यह ७ वा महीना बन गया|इसी महीने मे जुलिअस सीज़र का जन्म दिन था तो क्वितिलस का नाम बदल कर जुलाई कर दिया गया|
जुलिअस सीज़र के बाद ईसा से ३७ वर्ष पूर्व ओक्टेबियन रोम का सम्राट बना| उसके अच्छे कार्यों के लिए उसे इपेरेटर तथा आगस्टस की उपाधि प्रदान की गयी ,जिसका अर्थ मुखिया तथा पवित्र होता है| अब तक वर्ष के ८वे महीने का नाम सैविस्तालिस था ,अब इसे बदल कर आगस्टस ओक्तेवियाँ के नाम पर अगस्त कर दिया गया|
एक और मजेदार बात अब तक ८वे महीने मे ३० दिन होते थे और ७वे महीने मे ३१ दिन| क्योंकि ७ वा महीना जुलिअस सीज़र के नाम था और उसमे ३१ दिन और वर्तमान राजा के नाम पर ३० दिन,इसलिए फरवरी के २९ दिन मे से १ दिन काट कर अगस्त मे जोड़ दिया गया| अब आप बताएं क्या आधार है इस अंग्रेजी कलेंडर का?
कुछ और भी मजेदार बातें जान ले.....
.मार्च ...युद्ध और शान्ति के रोमन देवता मार्तियुस से बना ,इसीलिए इसे पहला महीना माना गया था|
अप्रैल ...रोमन शब्द अप्रिलिस से बना ,यह रोमन देवी अक्रिरिते के नाम पर है|
मई.....बसंत की देवी मेईया के नाम पर है|
जून ..रोमन स्वर्ग की देवी व देवराज जीयस के पत्नी जूनो के नाम पर|
जुलाई....हमने पहले ही बताया जुलिअस सम्राट के नाम पर |
अगस्त...यह भी ऊपर लिख चुके हैं सम्राट के नाम पर|
एक मजेदार बात और भी देखें....
सितम्बर..यह सेप्टेम शब्द से बना जिसका अर्थ होता है सातवाँ ,और यह पहले ७वा महीना ही था जिसे बाद मे ९वा बना दिया गया|
अक्टूबर ..यह ओक्टोवर शब्द से बना जिसका अर्थ आठ होता है,यह भी पहले ८व महिना ही था|
नवम्बर... यह नोवज़ शब्द से बना और इसका अर्थ भी नौ ही है,बाद मे इसे ११वा महीना बना दिया गया|
दिसंबर ..यह लातिन शब्द दसम अर्थात दसवां से बना है और पहले १०वा ही था|
जनवरी..जो पहले ११वा महीना था ,रोमन देवता जानुस के नाम पर जैनरियुस शब्द से बना |
फरवरी...लेटिन के फैबु और एरियास का रूप है,जिसका अर्थ शुद्ध करना है|रोमन सभ्यता मे इस महीने को आत्म शुद्धी तथा प्रायश्चित का महीना मानते थे|
इतना ही नहीं सन १७५२ मे २ तारीख के बाद सीधे १४ तारीख का प्रावधान कर इस कलेंडर को संसोधित किया गया|सितम्बर १७५२ मे इस कलेंडर मे मात्र १९ दिन ही थे|
भारत मे इस कलेंडर की शुरुआत अंग्रेजों के कार्यकाल मे हुई|
(इस जानकारी के लिए अनेकों पुस्तकों अभिलेखों तथा श्री नरेंदर संगल,ओरिएंटल बैंक से प्राप्त जानकारी का उपयोग किया गया है|)
डॉ अ कीर्ति वर्धन
९९११३२३७३२
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