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Friday, August 31, 2012

shikshak

1977 में लिखी एक रचना

शिक्षक राष्ट्र निर्माता, भूखा रहता मर जाता |
नहीं पैसे से है प्यार उसे, नहीं दुनिया से है कुछ लेता|
फिर भी राष्ट्र के ये नेता, क्यूँ हैं उसको तड़फ़ाते
क्यूँ पकड़ पकड़ कर जेलों में लाठी चार्ज हैं करवाते |
क्या भूखा रहना ही शिक्षक का  ईमान धर्म है  कहलाता,
सारे दिन मेहनत करके भी बच्चों का पेट नहीं भर पाता |
कहाँ से यह नेता आते हैं जो इतना भी जान न पाते हैं
जब तक शिक्षक चुप रहता है, सब कुछ सहता रहता है,
पर जब सहन नहीं होता दुष्ट दलन,दुर्गा भी वह होता है,
चामुंडा भी होता है |
सब कुछ जान कर भी वह तन्हाई में रोता है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०८२६५८२१८००

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