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Friday, September 21, 2012

pahchaan nahi hoti

        पहचान नहीं होती
तूफां से सागर की पहचान नहीं होती,
झील कितनी भी बड़ी हो,सागर नाम नहीं होती |
गर दुष्टों को सम्मान मिला करता ज़माने में,
शराफत की राह आसान नहीं होती |
बनता है कोई सागर सा,मन की गहराइयों से,
टूटी तलवार की कोई म्यान नहीं होती |
हीरे ,मोती, माणिक के सब हैं लुटेरे,
हर निगाह ज्ञान के मोती की कद्रदान नहीं होती|
किसी-किसी पे बरसती है रहमत खुदा की,
बेईमानों की कीमत उनकी जुबान नहीं होती |
भागते हैं जो लोग फकत दौलत के पीछे,
ईमानदारी की बातें उनका ईमान नहीं होती |
छुपा है खज़ाना बेहिसाब सागर की गहराइयों में,
बिना उतरे गहराई में कुदरत मेहरबान नहीं होती|
सोच कर मंजर बर्बादी का,तूफ़ान से पहले,
मछुवारों की बस्ती,वीरान नहीं होती |
मुश्किल में अक्सर भाग जाते हैं छोड़कर,
बुजदिलों की कोई आन,बान और शान नहीं होती |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
८२६५८२१८००




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