प्यार और तकरार
खिंची रहती हैं खंजीरें, जब वो पास रहता है
उसके दूर चले जाने से, मन उदास रहता है |
जुबाँ खामोश है ,खंजीरें जंगी हो गई,
तन्हा सा जीवन,सूना सा आँगन लगता है |
उनका दहकना शोलों के मानिंद,मेरे आँगन में,
खोई हुई धूप का ,एक हिस्सा सा लगता है |
वो मेरे सामने होते हैं तो नफरत उगती है,
उनकी जुदाई में उन पर प्यार उमड़ता है|
हैं कुछ मगरूर, मगर नादां हैं दिल से
उनकी नादानी पे मेरा प्यार छलकता है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800a
खिंची रहती हैं खंजीरें, जब वो पास रहता है
उसके दूर चले जाने से, मन उदास रहता है |
जुबाँ खामोश है ,खंजीरें जंगी हो गई,
तन्हा सा जीवन,सूना सा आँगन लगता है |
उनका दहकना शोलों के मानिंद,मेरे आँगन में,
खोई हुई धूप का ,एक हिस्सा सा लगता है |
वो मेरे सामने होते हैं तो नफरत उगती है,
उनकी जुदाई में उन पर प्यार उमड़ता है|
हैं कुछ मगरूर, मगर नादां हैं दिल से
उनकी नादानी पे मेरा प्यार छलकता है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800a
No comments:
Post a Comment