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Friday, October 26, 2012

pyar aur takrar

प्यार और तकरार
खिंची रहती हैं  खंजीरें, जब वो पास रहता है
उसके दूर चले जाने से, मन उदास रहता है |

जुबाँ खामोश है ,खंजीरें जंगी हो गई,
तन्हा सा जीवन,सूना सा आँगन लगता है |

उनका दहकना शोलों के मानिंद,मेरे आँगन में,
खोई हुई धूप का ,एक हिस्सा सा लगता है |

वो मेरे सामने होते हैं तो नफरत उगती है,
उनकी जुदाई में उन पर प्यार उमड़ता है|

हैं कुछ मगरूर, मगर नादां हैं दिल से
उनकी नादानी पे मेरा प्यार छलकता है |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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