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Friday, November 16, 2012

       बेटी --

आज बेटी तू इस घर से विदा हो रही है
एक नए घर का तू चिराग हो रही है |

दुआ है हमारी तुम सदा खुश रहना ,
नए घर का तू अब मेहताब हो रही है |

हमने दिए हैं जो संस्कार तुमको ,
अब परीक्षा की घडी तैयार हो रही है |

इस घर में थी तुम जन्म की साथी,
कर्म की बगिया तैयार हो रही है |

कल तक थी नादाँ तू मेरी दुलारी ,
समझदारी तुम्हारी अब राह जोह रही है |

साहस, हुनर ,धैर्य ,मान-सम्मान करना,
यह सब तुम्हारी विरासत रही है |

पिया घर के नियम , संस्कार सारे,
कर्त्तव्य की नई राह बाँट जोह रही है |

बड़ों को इज्ज़त और मान सम्मान देना ,
बच्चों की बगिया प्रसन्न हो रही है |

रखना है  तुमको ध्यान इन सभी का ,
दोनों घरों का बेटी तू मान हो रही है |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
08265821800



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