Pages

Followers

Monday, November 19, 2012

bedaag husn

यह बेदाग हुस्न और तेरी शोख निगाहें,
यह लरजते होंठ जैसे मय से भरे प्याले,
मैंने कभी किया न था इस हुस्न का दीदार,
लग रहा है डर कहीं ख़ुशी से मर न जाऊं मैं |

डॉ अ  कीर्तिवर्धन
8265821800

No comments:

Post a Comment