यह बेदाग हुस्न और तेरी शोख निगाहें,
यह लरजते होंठ जैसे मय से भरे प्याले,
मैंने कभी किया न था इस हुस्न का दीदार,
लग रहा है डर कहीं ख़ुशी से मर न जाऊं मैं |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
यह लरजते होंठ जैसे मय से भरे प्याले,
मैंने कभी किया न था इस हुस्न का दीदार,
लग रहा है डर कहीं ख़ुशी से मर न जाऊं मैं |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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