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Thursday, November 22, 2012

सागर की महानता को कम न आंकिये,
दर्द है कितना ,उसके दिल में झांकिए |
लेती हैं पनाह वहाँ ,सारे जहाँ की नदियाँ ,
समंदर के अहसान को कम न मानिये |

माना कि खारा है पानी,नहीं प्यास बुझाता ,
पर जल जीव जंतुओं को उदर में पालता |
छिपे है अनगिनत मोती सागर की गहराई में,
उतरता जो गहरे ,यह वही जानता |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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