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Thursday, November 15, 2012

वर्तमान में कुछ ऐसा भी..

गायी थी लौरियां  जिन्हें सुलाने की खातिर,
हमारा सोना उन्हें नागवार लगने लगा है |
पाला था जिन्हें अपना सब कुछ लुटाकर,
बेटों को 'बाप' दुश्मन नजर आने लगा है |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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