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Tuesday, November 20, 2012

meri aawaz

मेरी आवाज़....
आवाज़ जो मुल्क की बेहतरी के लिए है
कोई दबा नहीं सकता|
दीवार जो मेरी आवाज़ रोक सके
कोई बना नहीं सकता|
जब जब चाहा जालिमों ऩे, आवाज़ दबी हो
किस्सा कोई बता नहीं सकता|
क़त्ल कर सकते हो जिस्म का ए कातिल
विचारों को कोई दबा नहीं सकता|
खिलेगा कोई फूल उपवन मे देखना उसको
... खुशबु को कोई चुरा नहीं सकता|
कहाँ से पाला भ्रम अमर होने का,सियासतदानो
मौत से कोई पार पा नहीं सकता|
दबाओ के कब तलक मेरी आवाज़ दरिंदों
हवाओं को कोई बाँध नहीं सकता|
सजा कर एक परिंदा पिंजरें मे ,जाने क्या समझे
परिंदों से गगन खली रह नहीं सकता|
उड़ेगा बाज़ जब आसमाँ के सीने पर
मौत किसकी लिखी बता नहीं सकता|
लिखा तकदीर मे तेरी क्या,तू क्या जाने
जो लिखा बदलवा नहीं सकता|
ध्यान रख कोई और है दुनिया चलाने वाला
बिना मर्जी के हाथ हिला नहीं सकता|
समझते थे कुछ लोग खुद को, खुदा बन गए
कहाँ खो गए बता नहीं सकता|
ना कर गुरुर अपनी ताकत पर नादान
साँसों की गिनती गिना नहीं सकता|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
08265821800

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