ये उसकी इन्तिहाँ थी , प्यार में मुझे पाने की ,
और मेरी मज़बूरी थी खुद का वुजूद बचाने की |
घर पर बूढी माँ और जवान बहन बैठी थी,
मेरी जिम्मेदारी भी थी उनके सपने सजाने की |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
और मेरी मज़बूरी थी खुद का वुजूद बचाने की |
घर पर बूढी माँ और जवान बहन बैठी थी,
मेरी जिम्मेदारी भी थी उनके सपने सजाने की |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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