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Wednesday, December 26, 2012

surakshit nahi hai desh me

सुरक्षित नहीं है देश में कोई भी आजकल,
सोचकर मुझको खुद से ग्लानी होती है |
देखकर वातावरण अपने शहर का ,
विकास के पैमाने पर हैरानी होती है |
घट गयी कपड़ों की लम्बाई आजकल,
नंगा बदन देखकर , परेशानी होती है |
होते नहीं फिक्रमंद माँ-बाप देखिये,
पढ़-लिख बेटी जब सयानी होती है |

करती है नौकरी ,चाहे जितनी धनी हो,
शादी के मामले में मनमानी होती है |
होती थी निर्भर जो माँ-बाप पर सदा,
हुनर सिख कर स्वाभिमानी होती है |
सौम्यता,सरलता ,नारीत्व त्याग कर
पैसों का खेल देखिये,अभिमानी होती है |
पच्छिम की सभ्यता का अनुकरण कर,
आज की युवा पीढ़ी दीवानी होती है |
त्याग रही संस्कार अपने धर्म -देश के,
"स्वछंदता"सफलता की कहानी होती है |
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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