हाले दिल सबको सुनाया न करो,
किस्सा ए इश्क बताया न करो|
यह दिलजलों की बस्ती है,
सब पर ऐतबार जताया न करो |
बड़े बेदर्द हैं लोग इस बस्ती में ,
जख्मों पे मरहम लगवाया न करो,
सुनायेंगे किस्से तेरे प्यार के भरी महफ़िल,
घर की बात बाहर बताया न करो |
किस्सा ए इश्क बताया न करो|
यह दिलजलों की बस्ती है,
सब पर ऐतबार जताया न करो |
बड़े बेदर्द हैं लोग इस बस्ती में ,
जख्मों पे मरहम लगवाया न करो,
सुनायेंगे किस्से तेरे प्यार के भरी महफ़िल,
घर की बात बाहर बताया न करो |
wahhh....bahut khoob
ReplyDeleteहाले दिल सबको सुनाया न करो,
http://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत सही कहा है...
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
:-)