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Thursday, December 27, 2012

हाले दिल सबको सुनाया न करो,
किस्सा ए इश्क बताया न करो|
यह दिलजलों की बस्ती है,
सब पर ऐतबार जताया न करो |
बड़े बेदर्द हैं लोग इस बस्ती में ,
जख्मों पे मरहम लगवाया न करो,
सुनायेंगे किस्से तेरे प्यार के भरी महफ़िल,
घर की बात बाहर बताया न करो |

2 comments:

  1. wahhh....bahut khoob
    हाले दिल सबको सुनाया न करो,
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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  2. बहुत सही कहा है...
    सुन्दर रचना...
    :-)

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