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Saturday, December 15, 2012

kankar beej rahe hain

कंकर बीज रहे हैं--------

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हम टाँगे खीँच रहे हैं ,
छटें हुए जो भ्रष्टाचारी ,न्याय पद पर दिख रहे हैं |

बैठा दिया उनको ही सरपंच बनाकर,न्याय खातिर,
जो निज दरवाजे पर न्याय को ही पीट रहे हैं |

चोर ,उच्चकों ,बेईमानों की करते सदा पैरवी ,
आज वही तो कानून मंत्री पद पर दिख रहे हैं |

संसद के हमलावर को भी वोटों से तौल करते,
राष्ट्रभक्ति की बातें " कीर्ति",उनसे सीख रहे हैं |

सच मानो........
हम लकीरें पीट रहे हैं,आंसू से धरती सींच रहे हैं,
क्या खाक वहां पैदा होगा ,जहाँ कंकर बीज रहे हैं |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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