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Sunday, December 9, 2012

mukhauton ki duniya


मुखौटों की दुनिया

मुखौटों की दुनिया मे रहता है आदमी
मुखौटों पर मुखौटें लगता है आदमी|

बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगता है आदमी|

मुखौटों के खेल मे इतना माहिर हो गया
गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी|

शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,
आदमी को छलने को तैयार है आदमी|

मजहब के ठेकेदार जब लगाते मुखौटे
देते हैं पैगाम,बस मरता है आदमी|

लगाने लगे मुखौटे जब देश के नेता,
मुखौटों के जाल मे,फंस गया आदमी|

जाति,धर्म ,क्षेत्र का जब लगाया मुखौटा,
आदमी का दुश्मन बन गया है आदमी|

देखकर नेताओं का रोज बदलना मुखौटा,
हैरान और परेशान रह गया है आदमी|

एक रोज लगा लिया जानवर का मुखौटा
पशुओं का सारा चारा खा गया है आदमी |

कभी भूल जाता वह ,गर बदलना मुखौटा
शै और मात मे फँस जाता है आदमी|

मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी|

मुखौटे भी शर्माने  लगे यह रंग देखकर,
बेशर्मी की हदें पार कर गया है आदमी |


डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
09911323732

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