आओ एक गीत गा दें।।।।।
नेह के दीपक बुझ रहे
फिर से जला दें
आओ एक गीत गा दें ।
बढ़ रहा तम घनेरा ,धुप में भी,
दीप बन जल उठें ,और तम मिटा दें
आओ एक गीत गा दें ।
दरकती दीवार विश्वास और प्रेम की अब
स्नेह का थोडा उस पर, मुलम्मा चढ़ा दें
आओ एक गीत गा दें ।
धर्म के नाम पर भी सियासत हो रही है
आस्था का कोई दीप जला दें
आओ एक गीत गा दें ।
सम्बन्ध भी बनने लगे ,अर्थ की नीव पर
अर्थ के भी अर्थ का भाव बता दें
आओ एक गीत गा दें ।
होने लगे जुदा माँ-बाप,पति-पत्नी सभी
रिश्तों के संसार को ,समर्थ बना दें
आओ एक गीत गा दें ।
अब तो संस्कार सारे खोने लगे " कीर्ति "
रामायण का सार सबको बता दें
आओ एक गीत गा दें ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
नेह के दीपक बुझ रहे
फिर से जला दें
आओ एक गीत गा दें ।
बढ़ रहा तम घनेरा ,धुप में भी,
दीप बन जल उठें ,और तम मिटा दें
आओ एक गीत गा दें ।
दरकती दीवार विश्वास और प्रेम की अब
स्नेह का थोडा उस पर, मुलम्मा चढ़ा दें
आओ एक गीत गा दें ।
धर्म के नाम पर भी सियासत हो रही है
आस्था का कोई दीप जला दें
आओ एक गीत गा दें ।
सम्बन्ध भी बनने लगे ,अर्थ की नीव पर
अर्थ के भी अर्थ का भाव बता दें
आओ एक गीत गा दें ।
होने लगे जुदा माँ-बाप,पति-पत्नी सभी
रिश्तों के संसार को ,समर्थ बना दें
आओ एक गीत गा दें ।
अब तो संस्कार सारे खोने लगे " कीर्ति "
रामायण का सार सबको बता दें
आओ एक गीत गा दें ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
No comments:
Post a Comment