चाहा ही नहीं जिसको कभी दिल ने,
उसका क्या पाना ,और क्या खोना ।
मुसाफिर की कोई मंजिल नहीं होती ,
आज एक मिली, कल नया ठिकाना ।
चाहा था जिसे मैंने ,वो खुदा तो ना था,
पर दिल नहीं चाहता अब उसे खोना ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
उसका क्या पाना ,और क्या खोना ।
मुसाफिर की कोई मंजिल नहीं होती ,
आज एक मिली, कल नया ठिकाना ।
चाहा था जिसे मैंने ,वो खुदा तो ना था,
पर दिल नहीं चाहता अब उसे खोना ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
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