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Saturday, January 19, 2013

de sakata hun autograph

दे सकता हूँ तुम्हे आज भी ऑटोग्राफ,गर तेरी खुली हथेली है,
सुनाना चाहता हूँ  चाहत का अहसास ,जो आज भी पहेली है ।
शायद तुम नहीं जानती ,मैंने सिर्फ आसयाँ ही बनाया है,
मेरे सपनों की हवेली,आज तक तेरे इंतज़ार में अकेली है ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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