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Saturday, January 12, 2013

hindi,hindu aur hindustaan

हिंदी,हिन्दू ,हिन्दुस्तान

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है
और संस्कृति की थाती है
संस्कृत की छोटी बहना है
जन जन को यह भाती है ।

जैसा लिखा ,वही  है पढ़ना
जो बोलो वैसा ही लिखना
नहीं शांत इसमें अक्षर हैं
अमृत सा यह सुख देती है ।

सम्पूर्ण विश्व में बोली जाती
गैरों को भी गले लगाती
हर भाषा के अच्छे शब्दों को
अपने उर में बिठलाती है ।

सारी दुनिया इसकी दीवानी
अपने घर में यह बेगानी
सौत बनी घर में घुस आई
गुण विहीन अंग्रेजी महारानी ।


हिन्दू मात्र धर्म नहीं है
भारतीय की पहचान यही है
उदारमना सारी  दुनिया में
मानवता की शान यही है ।

सब धर्मो का आदर करना
हिन्दू का अभिमान यही है
वसुधैव कुटुंब का अपना
हिंदुत्व की जान यही है ।

भूख गरीबी अत्याचार
सूखा  भूकम्प बाढ़ अपार
हिन्दू कभी ना माने हार
हिन्दू का जीवन आधार ।

करे समर्पण हिन्दू सब कुछ
सदा सनातन के चरणों में
पाया तो प्रभु की कृपा है
खोया तो मेरी गलती है ।

वेद  ऋचाएं आज भी जग में
ज्ञान का सब को मार्ग दिखाती
क्या है सृष्टि और ब्रह्माण्ड में
युगों पूर्व से यह बतलाती ।

गीता का सन्देश जहाँ  को
सदा सदा से  बतलाता है
कर्म ही करना,फल नहीं चिंता
हिन्दू को बस यही भाता है ।

पूर्व जन्म में विश्वास करे
और गायों का भी मान करे
नदियों को माता सा पूजे
हिन्दू पर अभिमान मुझे है ।

मानवता जहाँ पर रहती है
वह हिन्दुस्तान कहलाता है
रूस  अमेरिका चीन जापान
सब लघु भारत बन जाता है ।

नहीं भेद जाति  और धर्म का
नहीं भेद और काले गोर का
मानवता पर जब संकट हो
हिन्दुस्तानी आगे आता है ।

गंगा जमुना और सरस्वती
अमृत सी नदियाँ बहती
छ: ऋतुओं का देश है प्यारा
हिन्दुस्तान मुझे भाता है ।

राम कृषण यहीं पर जन्मे
महावीर के अहिंसा के सपने
भगवान् बुद्ध का शान्ति का राज
सम्पूर्ण  विश्व में फैलाता है

मुनियों ने केवल मन्त्रों से
ब्रह्मान्ड  के रहस्य खोले
हिन्दुस्तान की पावन धरती
सूर्य अपने चक्षु खोलता है ।

नभ धरती पाताल यहाँ है
प्रकृति का अहसास यहाँ है
शीतल मंद पवन बहती है
स्वर्ग रूप यह कहलाता है ।

ऋषि मुनियों की पावन धरती
हरी भरी कहीं बंजर धरती
वृक्षों से आच्छादित धरती
जीवन धन्य हो जाता है ।

पशु पक्षी वृक्ष और लता
नदी सरोवर सागर पर्वत
सभी यहाँ पर पूजनीय हैं
हिन्द यही कहलाता है ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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