जरुरी समझा .....
मेरे होने पर भी तूने खुद को तन्हा समझा ,
मैं बावफा था , तूने मुझे बेवफा समझा ।
हमने तो हर जख्म पर मरहम लगानी चाही ,
ज़रा सा कुरेदा था , तूने हमें जालिम समझा ।
इश्क में अक्सर ऐसे मंजर आते हैं ,
तेरी बेरुखी को हमने अदा समझा ।
मुस्कराना और रूठना ,तेरी फितरत में था ,
बार-बार मनाना ,मोहब्बत में अच्छा समझा ।
मैं दीवाना था तेरी चाहत में ,जानम ,
यह जताने को ,जां लुटाना जरुरी समझा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
मेरे होने पर भी तूने खुद को तन्हा समझा ,
मैं बावफा था , तूने मुझे बेवफा समझा ।
हमने तो हर जख्म पर मरहम लगानी चाही ,
ज़रा सा कुरेदा था , तूने हमें जालिम समझा ।
इश्क में अक्सर ऐसे मंजर आते हैं ,
तेरी बेरुखी को हमने अदा समझा ।
मुस्कराना और रूठना ,तेरी फितरत में था ,
बार-बार मनाना ,मोहब्बत में अच्छा समझा ।
मैं दीवाना था तेरी चाहत में ,जानम ,
यह जताने को ,जां लुटाना जरुरी समझा ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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