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Thursday, January 24, 2013

jaruri samajhaa

जरुरी समझा .....

मेरे होने पर भी तूने खुद को तन्हा समझा ,
मैं बावफा था  , तूने मुझे बेवफा समझा ।

हमने तो हर जख्म पर मरहम लगानी चाही ,
ज़रा सा कुरेदा था , तूने हमें जालिम समझा ।

इश्क में अक्सर ऐसे मंजर आते हैं ,
तेरी बेरुखी को हमने अदा समझा ।

मुस्कराना और रूठना ,तेरी फितरत में था ,
बार-बार मनाना ,मोहब्बत में अच्छा समझा ।

मैं दीवाना था तेरी चाहत में ,जानम ,
यह जताने को ,जां लुटाना जरुरी समझा ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

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