मैं आग के दरिया को पार कर सकता हूँ,
भंवर में फँसी जर्जर कश्ती निकाल सकता हूँ ।
है हवाओँ का रुख बदलने का साहस मुझमे
मैं इन्सां और इंसानियत से प्यार करता हूँ ।
मैं नहीं डरता तीर खंजर और तलवारों से ,
मैं नहीं डरता शीर्ष पर बैठे ,देश के गद्दारों से ।
डरता हूँ फकत दोस्तों से ,रहबर हैं जो मेरे
छोड़ देते हैं तन्हा ,सुनकर आवाज़ राजदरबारों से ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
भंवर में फँसी जर्जर कश्ती निकाल सकता हूँ ।
है हवाओँ का रुख बदलने का साहस मुझमे
मैं इन्सां और इंसानियत से प्यार करता हूँ ।
मैं नहीं डरता तीर खंजर और तलवारों से ,
मैं नहीं डरता शीर्ष पर बैठे ,देश के गद्दारों से ।
डरता हूँ फकत दोस्तों से ,रहबर हैं जो मेरे
छोड़ देते हैं तन्हा ,सुनकर आवाज़ राजदरबारों से ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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